भाजपा के संसद सदस्य, महासचिव एवं मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रवि शंकर प्रसाद द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य
भारतीय जनता पार्टी का बीसीसीआई या आईपीएल के आन्तरिक प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा का आईपीएल फ्रेंचाइज़ और आईपीएल कमिश्नर द्वारा दिए गए बयानों से भी कुछ लेना-देना नहीं है। ये क्रिकेट संस्था के आन्तरिक मामले हैं, जिन पर एक राजनीतिक दल होने के नाते हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी भारत सरकार के एक मंत्री के आचरण पर निश्चित रूप से चिंतित है। हाल के घटनाक्रम ने दर्शाया है कि श्री शशि थरूर इस सरकार के enfant terrible है। उनका आचरण ऐसा रहा है, जो एक यूनियन मिनिस्टर के लिए शोभनीय नहीं है। जहां उनके पहले के बयानों ने राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया था, वहीं किसी फ्रैचाइज़ विशेष - Randezvous Sports World का जहां तक संबंध है उसमें उनकी रूचि दर्शाना ऐसा आचरण है, जो एक यूनियन मिनिस्टर को शोभा नहीं देता है। शशि थरूर का यह बयान है कि उन्होंने क्रिकेट को केरल में लाने के लिए केवल कोच्चि फ्रेंचाइज़ की सहायता की है। हमें केरल में क्रिकेट को लाने के उनक प्रयासों पर कोई आपत्ति नहीं है। यदि उनका केरल के प्रति प्यार था या क्रिकेट को केरल में लाने की इच्छा थी जिसने उनको कोच्चि फ्रेंचाइज़ की मदद करने के लिए प्रेरित किया तब भाजपा को कोई आपत्ति नहीं होती। किंतु सत्य अन्यथा प्रतीत होता है। यह इस कदम से वाणिज्यिक लाभ उठाने की इच्छा ही थी, जिसने उन्हें इस मामले में दखलंदाजी करने के लिए उकसाया। निम्नलिखित तथ्य स्वत: स्पष्ट है :
• शशि थरूर ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने कोच्चि फ्रेंचाइज़ी की कई बार सहायता की।
• कोच्चि फ्रेंचाइज़ी ने आईपीएल को जानकारी दे दी थी कि सुश्री सुनंदा पुष्कर के पक्ष में स्वीट इक्वीटी अर्थात् फ्री इक्वीटी स्टेक जारी किया गया है।
• हालांकि भाजपा की शशि थरूर के वैयक्तिक मामलों में कोई दिलचस्पी नहीं है, फिर भी रिपोर्टों के अनुसार सुनंदा पुष्कर के शशि थरूर से निकट के संबंध है। सुनंदा पुष्कर ने माना है कि उन्होंने क्रिकेट की या केरल की या कोच्चि फ्रेंचाइज़ी की ऐसी कोई सेवा नहीं की है जो उन्हें उक्त कंपनी में फ्री इक्वीटी का अबाध हकदार बना सकती हो। स्पष्ट है कि इस इक्वीटी के वास्ते quid pro quo शशि थरूर द्वारा कोच्चि फ्रेंचाइज़ी को दी गई सेवा ही है।
• यह स्पष्ट है कि शशि थरूर ने कोच्चि फ्रेंचाइज़ को दी गई सेवा के वास्ते प्रतिफल प्राप्त किया है और वह प्रतिफल किसी के नाम में लिए गए मूल्यवान शेयर होल्डिंग हैं, जिनका उनका निकट का संबंध है।
यह सरासर अस्वीकार्य है कि केन्द्रीय सरकार के किसी मंत्री को ऐसे आचरण में लिप्त होना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री ऐसे आचरण को कैसे नजरंदाज कर सकते हैं।
शशि थरूर ने एक चालाकीभरे शब्दों में इसका खंडन जारी किया है, जिसमें पूरी सच्चाई को छिपाया गया है। जबकि वे यह कहते है कि उन्होंने कोच्चि फ्रेंचाइज में एक भी रूपया न तो निवेश किया है और न ही प्राप्त किया है। माना कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है किन्तु उनके निकट सहयोगियों ने बिना भुगतान किए शेयर प्राप्त किए है। जब उसके साथ निकटता साथ रखने वाला व्यक्ति शेयर होल्डिंग प्राप्त करता है तब क्या वे इस बात से इनकार कर सकते है कि उनसे उन्हें लाभ प्राप्त नहीं होगा जबकि वो फ्री इक्वीटी है।
ऐसा आचरण अनुचित होने के साथ-साथ एक दांडिक अपराध है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 आपराधिक आचरण को परिभाषित करती है जबकि कोई सार्वजनिक सेवक अपने पद का या सार्वजनिक सेवा को दुरूपयोग करता है और अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान वस्तु या वित्तीय लाभ प्राप्त करता है। शशि थरूर ने 'किसी अन्य व्यक्ति' के नाम में कोई मूल्यवान वस्तु या वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए कोच्चि फ्रेंचाइज़ के मामले को आगे बढ़ाने में मंत्री के रूप में अपने पद का दुरूपयोग किया है। उक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत सार्वजनिक सेवक द्वारा अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में विधिपूर्ण पारिश्रमिक के अलावा अन्य अनुतोष प्राप्त किया जाना एक आपराधिक आचरण की विधिक धारणा का सृजन करता है।
भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मत है कि शशि थरूर के मंत्री के रूप में किए गए अनौचित्य के बाद उनको एक क्षण के लिए भी सरकार में बनाए नहीं रखा जा सकता। उनका आचरण आपराधिक अनाचार के समान है, जो कानून में दंडनीय अपराध है। प्रधानमंत्री को उन्हें तत्काल सरकार से बर्खास्त कर देना चाहिए और इस केस को आपराधिक अनवेष्ण के लिए सीबीआई को निर्दिष्ट कर देना चाहिए।
(श्याम जाजू)
मुख्यालय प्रभारी
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