3/20/2010

Press release on unveiling the statue of Shri Shyama Prasad Mukherjee's statue at Madhopur(Pathankot)Punjab

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प्रेस विज्ञप्ति

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने रावी नदी के तट पर श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि श्री मुखर्जी को सच्ची श्रध्दांजलि तभी होगी जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा आज देश के राष्ट्रवादी आंदोलन का स्वर्णिम दिन है। आर.एस.एस. और भाजपा ने देश की जनता को राष्ट्रभक्ति के संस्कार दिए हैं। यह स्मार इसका प्रतीक है और देश के करोड़ों नौजवान इस स्थान से राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा लेंगे। वर्तमान केन्द्र की सरकार विदेशी दबाव में काम कर रही है। यह सरकार अमेरिका परस्त सरकार है। पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और उसके बावजूद भी सरकार पाकिस्तान से बातचीत कर रही है। हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि पाकिस्तान से बातचीत का कोई अर्थ नहीं, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद समाप्त नहीं करता। मैं पंजाब सरकार का आभारी हूं, जिन्होंने राष्ट्रवाद के मसीहा श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा स्थापित की।

इस अवसर पर अपार जन समूह को संबोधित करते हुए श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने कहा कि यह स्मारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों की याद दिलाएगा। अगर सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो यह देश अंग्रेजों की साजिश का शिकार होकर विघटित हो सकता था। श्री मुखर्जी ने देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान लेकर आंदोलन किया और अपना बलिदान दिया और आज उनके बलिदान की वजह से कश्मीर में दो प्रधान का कानून नहीं है मैं उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं और मुझे विश्वास है कि एक दिन कश्मीर में श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्थापित होगा।

इस अवसर पर संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत ने कहा कि श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान से भारत के लगातार हो रहे विभाजन की प्रक्रिया रूकी। कश्मीर में उग्रवाद फैलाने वालों को सहानुभूति मिलती है लेकिन, जो कश्मीरी पंडित आज कश्मीर से इस देश में रिफयूजी बनकर रह रहे है, उनकी घर वापसी की बात नहीं हो रही है। श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने छोटी पार्टी के नेता होते हुए भी कश्मीर के विभाजन की प्रक्रिया को रोका। कश्मीर भारत में रहे यह केवल कश्मीर का स्थानीय मुद्दा नहीं है, यह करोड़ों भारतीयों के मान-सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि देश के शहिदों को किसी प्रांत या मज़हब के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए। जो लोग भाषा, प्रांत, सांप्रदाय, के आधार पर घृणा का व्यवहार कर रहे हैं, वह देश की एकता के हित में नहीं है।

         (श्याम जाजू)
    मुख्यालय प्रभारी
 

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