3/22/2010

अमेरिका भारत को आश्वस्त करे कि इसके द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले करोड़ो डालर भारत विरोधी आतंकी गुटों के हाथ न पड़ जाएं

अमेरिका भारत को आश्वस्त करे कि इसके द्वारा

पाकिस्तान को दिए जाने वाले करोड़ो डालर भारत विरोधी आतंकी गुटों के हाथ न पड़ जाएं


श्री ओबामा के राष्ट्रपति काल में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को खुले हाथ से धन बांटने में कोई कमी नहीं आई है। यह सब कुछ अमेरिकी प्रशासन की ओर से हमारे वास्तविक भय को दूर करने के किसी प्रयास के बिना किया जा रहा है कि इस धन को आतंकी गुटों द्वारा भारत विरोधी क्रिया-कलापों में प्रयुक्त किया जा रहा है। और अब हमें पुन: आश्वस्त किए बिना कि ऐसा आगे नहीं होगा एक बहुत ही चिंताजनक समाचार राष्ट्रपति ओबामा द्वारा बुलाई जा रही न्यूक्लीयर सिक्यूरिटी समिट (Nuclear Security Summit) जो 12 और 13 अप्रैल को वाशिंगटन डीसी में आयोजित होगी की पूर्व संध्या पर आया है कि अमेरिका द्वारा भारत के साथ किया गया तथाकथित सिविल न्यूक्लीयर डील पाकिस्तान के साथ भी किया जा सकता है।

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को खुले हाथ से धन देना मस्तिष्क को स्तब्ध करने वाला है। मैं गार्जियन की एक रिपोर्ट उध्दृत करता हूं "February 3, 2010 by Delcan Walsh. The Guardian/UK-President Obama's public aid to Pakistan is transparent : डॉलर प्रति वर्ष 1.5 मिलियन डॉलर अगले पांच वर्षों के लिए जो प्रमुखत: सिविलियन सरकार को मजबूत करने के लिए होंगे। किंतु, पर्दे के पीछे अमेरिका अन्य रूपों में भी सक्रिय है। गत दशक में अमेरिका ने 12 बिलियन डॉलर सीधे सेना को नकद रूप में दिए है। ताकि सेना की तालिबान तथा अलकायदा के साथ लड़ाई की लागत में इमदाद की जा सके। फ्रंटियर कोर, जिसमें मृत सैनिक शामिल किए गए थे को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम अनुमानत: 4,000 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च का था, जो कई वर्ष चला।

अत: भारत के लिए जो दो शत्रुवत परमाणु शक्तियों से घिरा है, लाजमी है कि वह मांग करे कि अमेरिका यह सुनिश्चित करे कि इसके करोड़ों डॉलर किसी भी हालत में उन आतंकी हाथों में न पड़े, जो भारत के विरूध्द सक्रिय है। इस्लामाबाद को दी जा रही अपनी सहायता को अमेरिका मॉनिटर कर रहा है या नहीं, इसके बारे में हमें आश्वस्त होने के लिए पक्की व्यवस्था की जानी चाहिए।

अमेरिकी डॉलरों को आतंकी गुटों को आतंकी कार्रवाई में सहायता के लिए उपलब्ध कराने का पाकिस्तान का अपना इतिहास रहा है जैसा कि अमेरिकी अधिकारियों ने खुले आम उल्लेख किया है। यह अमेरिकनों के लिए भी कोई छिपी बात नहीं है कि अफगान तालिबान को मिलने वाली अमेरिकी सहायता भारत के प्रति द्वेष रखने वाले गुटों को पहुंचाई जा रही है। परमाणु शक्ति रखने वाला पड़ोसी देश, जिसको अनेक 'स्टेट' और 'नॉन-स्टेट' प्लेयरों द्वारा चलाया जा रहा है, भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति के लिए एक संभावित खतरा है। ऐसे पड़ोसी देश को किसी भी बहाने पर दिए गए करोड़ो डॉलर से हमारी चिंता लाज़मी तौर पर बढ़ी है। अमेरिका का यह दायित्व है कि वह पाकिस्तान जैसे अस्थिर राज्य को दी जाने वाली करोड़ों रूपयों की सहायता की मॉनिटरिंग करे और उसकी हमें नियमित जानकारी दे। जहां अमेरिका ने हमें हेडली केस में हमें नीचा दिखाया है वहीं 'साऊथ शरमल शेख ब्लाक' ने भी देश की सुरक्षा और आतंक के साथ लड़ाई में अपना निस्तेज रवैया दर्शाया है। अमेरिका ने भारत के विरूध्द आतंकी गुटों को पाकिस्तान के समर्थन के बारे में कोई चिंता व्यक्त नहीं की है जबकि वह पश्चिमी मोर्चे पर ही पूरा ध्यान केन्द्रित करता रहा है। आतंक के विरूध्द अमेरिका का यह दोगलापन वास्तव में भारत को पाकिस्तान आधारित और समर्थित आतंकी गुटों के समक्ष अधिक कमजोर बना रहा है। पर अंतत: यह हमारी लड़ाई है और ओबामा अपने देश के राष्ट्रपति है। हमको अमेरिकी हितों का पिछलग्गू क्यों बनना चाहिए। प्रस्तावित सिविल लिबर्टी फॉर न्यूक्लीयर डैमेज़ बिल, 2010 एक अन्य उदाहरण है, जिसमें भारत में शासन करने वाली पार्टी अमेरिकी दबाव में भारत के हितों के विरूध्द कार्य कर रही है।

अमेरिका ने माना है कि पाकिस्तान बेभरोसे वाला न्यूक्लीयर राष्ट्र है, जो परमाणु प्रसार का अगुवा है और 'नॉन स्टेट एक्टरों' द्वारा परमाणु शस्त्रों का चोरी-छिपे करता है। फिर भी पाकिस्तान वाशिंगटन से करोड़ो डॉलर इकट्टा करने के लिए 'तालिबानी कार्ड - तुम्हारी मदद करने के लिए मेरी मदद करो' खेलना जारी रखे हुए है।

हम आशा करते है कि डॉ. मनमोहन सिंह का अप्रैल में वाशिंगटन का उपर्युक्त शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दौरा एक अन्य शर्मनाक समर्पण का वाक्या न बने, जो विदेशी ताकतों के सम्मुख हो जैसाकि हमने शरमल शेख में देखा था और जो बाद में जी मचलाने वाले रूप में भारत पाकिस्तान के विदेश सचिव स्तर पर की गई वार्ताओं में देखा गया था।

डुलमुल साऊथ ब्लॉक की गवर्नेंस - "I Don't know what's in my mind" का एक उदाहरण देने के लिए, जिसमें कसाबों और अफजलों के बारे में किसी दृढ़ नीति के बिना सिविलियनों और सैनिकों के शरीर पर लदे बैगों को गिनने का उल्लेख किया गया था, शासक गठबंधन के नेताओं के मुंह से निकले कुछ मोती यहां दिए गए हैं उनके कृत्यों और बातों से उनका मिलान कीजिए। आश्चर्य है कि यह मस्तिष्कहीन गवर्नेंस किस प्रकार की है, जो सरकारी विज्ञापनों में पाकिस्तान के वायुसेना प्रमुख का चित्र और दिल्ली को पाकिस्तान में स्थित दिखलाती है।

स्लेक्टिव एप्रौच स्वीकार्य नहीं है : ''हमें ऐसा कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए कि आतंकवाद के प्रति स्लेक्टिव एप्रौच कारगर होगी अर्थात् एक स्थान पर उससे जूझना जबकि अन्य स्थानों पर उसकी अनदेखी करना'' - डॉ. मनमोहन सिंह (23 नवंबर, 2009 को वाशिंगटन में डॉ. मनमोहन सिंह के उद्गार)। ये उद्गार एक अगृणी अमेरिकी थिंक टैंक - काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स को संबोधित करते हुए कहे गए थे।

चिदम्बरम ने 04, जनवरी 2009 को नई दिल्ली में कहा, ''हमें एक कास्ट आयरन गारंटी की आवश्यकता है : ''अब हम जो कुछ चाहते है वह है कास्ट आयरन गारंटी अर्थात् किसी स्टेट एक्टर या नॉन स्टेट एक्टर को पाकिस्तानी जमीन या स्रोत के भारत पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी'' - गृह मंत्री पी. चिदम्बरम।

उन्होंने एक टेलिविजन न्यूज चैनल से कहा, ''गारंटी उनको देनी चाहिए, जो शक्ति तंत्र का नियंत्रण करते हैं अर्थात् चुनी हुई सिविलियन सरकार तथा सेना। वे कोई गारंटी नहीं है जो सिर्फ आप कागज पर देते हैं। ये वह गारंटियां है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दी जानी होती है।''

आतंकवाद का अधिकेन्द्र, 23 फरवरी, 2010 : गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने पाकिस्तान को विश्व में आतंकवाद का अधिकेन्द्र बताया और कहा कि भारत की नीति ने इस्लामाबाद को यह स्वीकार करने के लिए विवश किया है कि इसकी भूमि को भारत पर आतंकवादी आक्रमण करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ''हमारी नीति ने पाकिस्तान को यह स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया है कि इसकी भूमि का उपयोग भारत पर आतंकवादी आक्रमण के लिए किया जा रहा है।''

कोई सार्थक वार्ता नहीं : - A video appearance, विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने स्पष्ट शब्दों में कहा था, ''जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को नहीं रोकता है तब तक पाकिस्तान के साथ कोई सार्थक वार्ता असंभव है'', ''पाकिस्तान उन आतंकवादियों पर भी मुकद्मा नहीं चला रहा है, जिनके विरूध्द सभी साक्ष्य सुलभ है।''

         (श्याम जाजू)
    मुख्यालय प्रभारी
 

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